आप सब के भीतर विराजमान सांई को मेरा सहृदय नमस्कार!
अरे! आपको भी नमस्कार है.. आप और सांई अलग थोड़े ना हो।😊
सांई के भक्त अक्सर कहते दिखते हैं कि बाबा की आंखें उनके दिलों में उतर जाती है।
सांई की मूर्ति या तस्वीर एक निर्जीव वस्तु नहीं रह जाती..जब आप सांई को उन में महसूस करने लगते हैं।
आज आप से बांटने जा रही हूं कुछ किस्से जब सांई ने अपने भक्तों की मुसीबतें खुद पर लेली।
बाबा तो लगता है हर पल ही ऐसा करते हैं पर हमें एहसास तभी कराते हैं जब हमारे विश्वास को दृढ़ करने की जरूरत लगती है उन्हें।
जी हां..इसका मतलब है कि ऐसा भी हो सकता है कि बाबा का आपसे पहले का नाता हो पर अब तक उन्हें जरूरत महसूस न हुई हो आप से यह बताने की।
और वो background में चुपचाप आपकी जिंदगी से कांटों को दूर हटाते आए हो।
पहले मैं यह बता दूं कि..
यह प्यारी सी बाबा की photos कल गुरू पूर्णिमा के दिन की गई पूजा की है।
ये आप तक पहुंचाई गई ,इसका श्रेय जाता है एक अजीज दोस्त मन्जू को।
वो मेरे जीवन में सांई का एक तोहफा है जो मुझ तक पहुंच तो पहले गया था पर उसे packing में ही रखा सांई ने एक साल पहले तक।
उसने जिस तरह सांई की सारी किताबों को सजाया है पूजा में .. बहुत अच्छा लगा यह देखकर।😍
सांई सच्चरित्र की घटनाएं
सच्चरित्र में हेमाडपन्त जी लिखते है कि संत हमारी तरह “मेरा तुम्हारा” में सीमित नहीं रहते।
वें भक्तों के सुख दुख से एकाकार रहते हैं..मतलब वें भक्तों को खुद से अलग नहीं समझते और उन्हें खुश रखने के लिए.. खुद का बलिदान देने को भी अग्रसर रहते हैं।
सांई जब शरीर में थे..एक दिन वे द्वारकामाई में धूनी के पास बैठे थे।तभी उन्होंने अचानक जलती धूनी में हाथ डाल दिया।
उनके आसपास बैठे भक्त जब तक कुछ समझ कर भागे और उन्हें धूनी से बाहर खींचा तब तक हाथ काफी जल गया था।
जब बाबा से पूछा गया कि उन्होंने ऐसा क्यूं किया तो बाबा ने बताया वहां से कुछ दूर एक गांव में किस तरह एक लुहारिन की गोद से उसका नवजात बालक नीचे जल रही भट्टी में गिर पड़ा ..पर बाबा ने उसे बीच में ही अपने हाथ से रोक लिया।
उनके भक्त उनके लिए चिंतित थे पर बाबा खुश थे कि एक बच्चे की जान बच गई।
इसी तरह यदी आपने सांई सच्चरित्र पढ़ी है तो आपको याद होगा जब श्रीमती खापर्डे अपने बच्चे के प्लेग (plague) को लेकर घबरा रही थी, तब बाबा अपनी कफनी (लंबा कुर्ता) उठाकर वहां मौजूद भक्तों को दिखाते हैं और कहते हैं..
“देखो किस तरह मुझे मेरे भक्तों की पीड़ा खुद पर लेनी पडती है..उनकी पीड़ाएं मेरी है।” और बाबा के निचले उदर पर अंडे जितनी बड़ी 4 प्लेग की गिल्टियां (गांठें) दिख रही थी।
एक और घटना याद आ रही है जो सच्चरित्र में नहीं है।
बाबा के एक भक्त ने बाबा को तोहफे में एक घोड़ा दिया था जिसका नाम श्यामकर्ण था।
उसकी देखभाल रखने वाले भक्त ने एक दिन उसे छड़ी से दो तीन बार मारा।
जब वो द्वारका माई में गया तो बाबा बोलने लगे कि उसने बाबा को पीटा है।
वो भक्त कुछ समझ नहीं पाया तभी सांई ने अपनी पीठ पर छपे लाल निशान दिखाए..तब जाकर उसे अपनी गलती का एहसास हुआ।
बाबा सांई शिर्डी में रहते हुएं ..एक भी दिन पूरी तरह स्वस्थ नहीं रहे।
कभी किसी भक्त की उदर पीड़ा (पेट दर्द) से तो कभी किसी भक्त की प्रसव पीड़ा से बाबा कराहते रहते।
खांसी, बुखार ,कब्ज तो उन्हें रोज ही रहते थे।
और यह तो आप सब को पता ही होगा कि सांई ने शरीर त्यागते समय भी अपने परम भक्त तात्या की मृत्यु को खुद पर ले लिया था।
ऐसा कुछ जानकर मेरा बाबा से यही सवाल होता है “कैसे कर लेते हो बाबा ..😅 यहां तो एक छोटा सा cut लग जाएं तो जान निकल जाती है।”
बाबा ने देह में रहकर भी हमेशा अपने भक्तों की पीड़ा को खुद पर लेना स्वीकार किया था..और आप को यकीन नहीं होगा कि वो अब भी ऐसा कर रहे हैं और भक्तों का विश्वास बढ़ाने के लिए उन्हें ऐसा एहसास भी देंते आ रहें है।
मेरी सांई मूर्ति के घांव
बाबा की मूर्ति जो अभी मेरे पास है ..जब वो मेरे पास लाई गई थी तब एकदम सही सलामत थी।
कमर दर्द मुझे बहुत परेशान करता था और कई बार तो चलना और बैठना भी मुश्किल हो जाता था।
हालांकि दवाई और आराम से सही हो जाता था पर हर दिन दवाई लेना सही नहीं लगता था और पढ़ाई को समय देने की वजह से ज्यादा आराम करना भी मुमकिन नहीं था।
मैंने एक दिन ध्यान दिया कि बाबा सांई की मूर्ति का वही हिस्सा टूट गया जहां मुझे दर्द होता था… मूर्ति कहीं गिरी भी नहीं थी।
और अजीब बात यह है कि इस के बाद से मेरा कमर दर्द ज्यादा बार और ज्यादा देर नहीं रहता।
इसी तरह.. मेरे सिर पर एक गांठ थी जो पिछली साल बहुत बढ़ गई थी ..अचानक वो कम हो गई।
फिर से एक दिन बाबा को नहलाते समय ध्यान दिया तो पाया बाबा के सिर पर दाईं तरफ एक उभार सा बन गया था ..इसी जगह मेरे सिर पर वो गांठ थी।
ऐसा ही कुछ कल पूजा में हुआ जब बाबा की मूर्ति का हाथ टूट गया..अगर मैं एक साल पहले की संगीता होती तो यहीं सोचती कि ये अपशगुन था।
आप नीचे की photo में बाबा का टूटा हुआ दायां हाथ देख सकते है।
पर अब ऐसा होते ही एक अजीब सा रोमांच और रोना आने लगता है ..ये सोचकर कि मेरे बाबा सांई ने फिर से मेरी एक और तकलीफ को खुद पर ले लिया। 😭
मैंने उनके हाथ पर उन्हीं की उदी लगा दी और मां से प्रार्थना की कि वे बाबा सांई का ख्याल रखें।
मैंने जया दीदी से सुना है कि बाबा अक्सर उनसे मां की बात किया करते हैं जिन्हें हम जगजननी या शक्ति के नाम से जानते हैं।
फिर आज उन की इस दिल को छू लेने वाली करूणा पर दो लाइनें लिखी।
पिछली साल ध्यान में एक बार दिखाई दिया जैसे सांई के उज्जवल से बाएं पैर को अंधेरे ने घेर लिया हो।
मुझे उस समय तो कुछ समझ नहीं आया।
इसके दो दिन बाद मेरे बाएं पैर की हड्डी टूट गई।
टूटने के बाद भी जितना दर्द मैंने सोचा था.. उतना दर्द मुझे हुआं नहीं।
हां मुझे पढ़ाई की चिंता कई बार होने लगती थी।(क्यूंकि मैं समर्पित नहीं हूं।😅) पर दर्द, पूरे दो महीनों में, मुश्किल से एक या दो बार हुआ होगा।
ऐसे कठिन समय में जो आपकी पीड़ा को मिटा सके ..जो स्वयं हर पल कष्ट में रहकर भी आप की खुशी में खुश रहें ..ऐसे सदगुरू सांई को पाने का सौभाग्य मुझे कैसे मिला.. ये सोचकर मेरी आंखें भर आती है।
अंत में हम सभी के लिए यही प्रार्थना है कि हम जाने अंजाने कम से कम जीवों को कष्ट पहुंचाए ताकि सांई को हमारा कष्ट कम से कम भोगना पड़े।🙏
कल मिलते हैं एक नई post के साथ।
लिखने में कोई गलती हुई हो तो माफ़ करें।
आप अपने अनुभव मुझे भेज सकते हैं मेरे email पर ।
अगर आप को सांई सच्चरित्र की pdf चाहिए तो यहां से download करें 👉 सांई सच्चरित्र (हिन्दी में) ।
सांई को बड़े अच्छे तरीके से दर्शाता हुआं यह भजन/गाना ज़रूर सुने👉 फूलों में सज रहे हैं शिर्डी के साईं बाबा.. इस गाने के ये शब्द मेरे हृदय पर अंकित हो गए ..”करूणा बरस रही है ..करूणा भरी निगाह से।”
सदा सांई की भक्ति में हंसते रहे।🤗
सांई की छवि को खुद के भीतर संवारते रहें।
ऊं सांई श्री साईं जय जय साईं ❤️
Om sai…shree sai…Jai jai sai.❤️❤️❤️
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Om sai ram
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