मैं तुम्हारे जीवन से सारा अंधकार मिटा दूंगा!

शिर्डी साईं
ऊं सांई राम दोस्तो!
जब भी मैं सांई की बात करती हूं तो आप सांई की जगह अपने आराध्य को देख सकते हैं।
सांई सिर्फ एक चेहरा नहीं है ..यहां सांई दर्शाते हैं उस परम शक्ति को जिस के कई रूप है।
वो परम शक्ति उस से एकाकार हुएं संतो में भी वास करती है‌ .. और आप और मुझमें भी है।
पर क्या अंतर है कि हम बाबा जैसे संतों की तरह नहीं है।
क्यूंकि वह शक्ति.. हम में अभी सुप्त अवस्था में है।
उसे जगाने का उपाय ..अपने गुरू की बात सुनना और पालन करना।
और वो कैसे किया जाए ?
उस के बहुत से तरीके हैं ।
सब का जीवन अलग है।
तो कौन सा तरीका आप पर लगेगा यह आप से बेहतर कोई नहीं जानता..
सांई तो जानते ही हैं .. पर जब तक हम पूछेंगे नहीं तब तक वो बताएंगे कैसे।
ये वैसे ही है जैसे सांई आप को फोन करें पर आप फोन नहीं उठा रहे .. तो उन्हें सुनेंगे कैसे।
मेरी पसंदीदा किताब ..रूज़बेह भारूचा द्वारा कृत “फकीर” में सांई कहते है.. (इस के बारे में हम अगली किसी post में बात करेंगे।)
“बेटा यह बहुत पुराना उसूल है .. तुम जब तक किसी काम की इजाजत नहीं दोगे तब तक मैं वो कर भी नहीं सकता।”
कहने का मतलब जब तक आप उन पर इतना भरोसा ना दिखाएं कि अपनी जीवन की डोर उन के हाथ में सौंप दे तब तक वो आप के जीवन में वो बदलाव नहीं ला पाएंगे ..जो उन की नज़र में आप के लिए सही है।
अब बची आप की बारी ..आप से बेहतर कोई नहीं जानता का मतलब यह है कि आप ही जानते हैं कि आप कौन सा तरीका अपना सकते हैं ..ये अलग अलग तरीके अलग अलग चाबी को दर्शाते हैं ..कौन सी चाबी आप के ताले में लगेगी यह आप ही जान सकते हैं इन चाबियों को try करके।
हर स्थिति के लिए अलग चाबी है और जैसे जैसे आप भक्ति के पथ पर आगे बढ़ते जाएंगे आप के ताले के साथ साथ चाबी भी upgrade होती जाएगी।
आप सांई से कैसे बात कर सकते हैं?
बात से मेरा मतलब प्रार्थना नहीं है .. क्यूंकि प्रार्थना में हम उन्हें सुनते कम.. खुद बोलते ज्यादा है।
तो फिर ऐसा क्या है जो करके हम उन्हें सुन सकते हैं?
पहले मैं अपने दो साधन (tool) बताती हूं फिर हम बात करेंगे पवित्र शास्त्रों में बताई गई ” नव विधा भक्ति” की।
1.सबसे बढ़िया तरीका तो ध्यान ही है।
पर ध्यान करने का भी सब का mood नहीं हो पाता।
करते भी हैं तो हर रोज़ नहीं ।
तो फिर और क्या करें ?
2.फिर आप कर सकते हैं नाम जाप।
सिर्फ “सांई सांई” बोलते रहिए ..यह है तो एक तरह से प्रार्थना ही पर इस में आप किसी विचार पर ध्यान केन्द्रित ना कर ..सिर्फ सांई के नाम पर ध्यान लगा रहे हैं। यह भी एक तरह से ध्यान ही है पर एक ही स्थान पर बैठ कर करना जरूरी नहीं।
जब आप कुछ भी मांगे बिना.. उन पर अपना सवाल छोड़ देंगे और उनका नाम लेते रहेंगे तो वे आप के लिए क्या हितकर है यह ज़रूर बताएंगे।
वही दूसरी ओर प्रार्थना करते समय हम एक विचार पर ध्यान लगाते हैं ..
जैसे मैं सांई के सामने बैठ कर.. आंखें बन्द करके बोलूं
“सांई मुझे ice cream चाहिए ..मेरे भाई को भी ice cream दिला देना ..और मेरी दीदी को chocolate और वो मेरा जो दोस्त बीमार है ना सांई उसे सही कर देना और उसे भी ice cream दिला देना।आप इतना समय क्यू ले रहे हैं बाबा ..जल्दी सब सही कीजीए ना बाबा ..मै प्रसाद भी लाई हूं जो मैंने बोला था।” 🤣
अब तक सांई सुन रहे होते हैं मुझे ..पर जब वो बोलने के लिए मुंह खोलते हैं.. मैं ” ऊं सांई राम ” बोल के निकल लेती हूं अपने रोज़मर्रा के काम करने।
तो इसलिए नाम स्मरण के समय आप का दिमाग ज्यादा शांत होता है और तब आप भी सांई को सुन पाते हैं।
यही वजह है सिर्फ प्रार्थना करने से मन शांत नहीं होता।
 आप counsellor/doctor के पास गए तो सही पर खुद की समस्या कहकर उसका सुझाव या prescription लिए बिना ही आ गए।
आप को लगा शुल्क(fees) तो आप ने दे दिया प्रसाद के रूप में।जब कि आप भूल गए कि खुद को स्वस्थ करने के लिए आप को उस doctor का सुझाव तो सुनना ही होगा और कड़वी दवाई भी खानी पड़ सकती है।
मतलब आप के जीवन को बेहतर करने के लिए सिर्फ सांई की माला और प्रसाद में पैसे खर्च ही नहीं करने है…बल्कि खुद के जीवन में भी बदलाव लाने होंगे।
 

 

और वो बदलाव कौनसे होंगे यह सांई को सुनने पर ही पता चलेगा।
मुझे गलत मत समझिए ..मैं माला और प्रसाद ले जाने को गलत नहीं कह रही।मैं तो इस का समर्थन करती हूं क्यूंकि मुझे तो किसी के घर जाते समय भी कुछ तोहफा ले जाने का मन करता है।
यह प्यार जताने का ही एक तरीका है।
पर अब बाबा ने एहसास करा दिया है कि हमें खुद में भी बदलाव लाने होते हैं ..
मतलब तन और धन से ही नहीं , मन से भी पूजा करनी होगी। 
 
यह एहसास भी सांई ही कराते हैं , तो अगर आप को लगता है आप भक्ति में एक level आगे बढ़ने को तैयार है तो फिर इस बात को अपना कर देखिएगा।
अब और कौन सी चाबियां है?
तो हम आते हैं “नव विधा भक्ति की बात” पर..
(9 modes of devotion)
अपने ईष्ट को ध्याने के बहुत से तरीके हैं ..
सांई बाबा ने शरीर त्यागते समय जिस तरह अपने हाथ से अपनी भक्त लक्ष्मी को 9 सिक्के दिए ..वो 9 तरह की भक्ति के सूचक थे ..
जो इस प्रकार है..
1.श्रवण : जिसका सीधा सा मतलब है “सुनना”।
आप सांई सच्चरित्र पढ सकते हैं..या कोई भी धार्मिक या आध्यात्मिक किताबें।और .. आप मेरा blog पढ़ सकते हैं।🤭
किसी संत की जीवनी पढ़ने/सुनने से उन में विश्वास तो गहरा होता ही है.. साथ ही हमारी प्रवृत्तियां (आदतें/स्वभाव) भी साफ होती है।
और अपने आप सांई से बहुत जुड़ाव महसूस होने लगेगा आप को।
कहने का मतलब फायदा ही फायदा।🤗
2.कीर्तन : ईश्वर का गा कर गुणगान करना .. जो हम पूजा करते समय करते हैं।यह एक जगह बैठ कर ही किया जाए ऐसा ज़रूरी नहीं।
3.स्मरण :जो भक्त ईश्ववर को ..उन की लीलाओं को याद करके मुग्ध
होता रहे जैसा सांई के भक्त भी महसूस करते हैं ..हर पल सांई के विचार आते रहते हैं उन के मन में ।
4.पाद सेवन : ईश्ववर के चरणों में शरण लेना।
सच कहुं तो इसका शाब्दिक अर्थ तो यहीं है पर गूढ़ या गहरा मतलब मुझे नहीं पता।
बस एक घटना याद आ रही है ..वो मैं आप से सांझा कर रही हूं ।
यह तीन साल पहले की बात है .. उस समय मैं बहुत परेशान रहती थी.. कुछ परिवार की समस्याएं ..कुछ खुद के जीवन की। मेरी जिंदगी में उस समय.. सब कुछ होते हुए भी मुझे कुछ नहीं दिखता था और सिर्फ सांई भक्ति ही एक खुशी का ज़रिया बची थी।
उसी साल एक बार मैं एक नए सांई मन्दिर गई तो पाया कि वहां सांई के चरण बाहर खुले आंगन में अलग से स्थापित थे।
मैं जिस मन्दिर में हमेशा जाती थी ..यह मन्दिर उससे अलग था।
पहले वाले मन्दिर में  स्थापित सांई चरणों के सामने हमेशा एक दीप जलता रहता था।
पर यहां अंधेरा देखकर मेरा मन हुआ कि मैं यहां भी रोशनी कर दूं।
हालांकि वहां एक भी दिया ना देखकर मुझे डर भी था कि पुजारी जी मुझे टोक ना दे।
उन्हीं दिनों मेरा दिल एक गाने/भजन पर अटका था । वो गाना था “गुरू पादुका स्तोत्रम” और मैं उसे बार बार सुनती रहती थी।था वो तमिल में..पर उसे सुनकर किसी और दुनिया में चली जाती थी मैं..  जब वो खत्म होता तो सांई के चरणों की तस्वीर आती थी और उन्हें देखकर लगता जैसे मेरी सारी जन्नते यहीं है।
बस इस तरह मेरे दिल में इच्छा जागी कि बाबा के उन चरणों के पास दीप जलाना ही है।
अगले गुरूवार मैं और मेरी दोस्त उसी मन्दिर दिएं लेकर गए और बाबा के चरणों के आस पास 9 दीप जलाएं।
मैंने मन में बाबा से प्रार्थना की कि मुझे अपने चरणों में रख ले हमेशा के लिए।
 उस रात सोने के थोड़ी ही देर बाद नींद में कुछ शब्द सुनाई दिए ..इतने साफ और सुन्दर शब्द जब हम हमारे लिए सुनते हैं तो यकीन नहीं आता ।
सांई ने उन शब्दों में एक ऐसा वादा कर दिया कि मैं अपनी सारी परेशानियां भूल गई .. वो प्यारी सी आवाज़ में बोले..
“तूने मेरे चरणों में दीप जलाएं हैं बच्ची.. अब मैं तेरे जीवन से सारा अंधकार दूर कर दूंगा।
इतने दीप जलाऊंगा कि कहीं कोई अंधेरा बाकि नहीं रहेगा।”
आप सोच ही सकते हैं ऐसा सुनने के बाद मेरी नींद कहां गई होगी।मुझे खुशी से रोना आ गया।😭
आज भी जब कोई परेशानी मुझे घेरती है .. ये शब्द मेरे मन में गूंजने लगते हैं और फिर मन हल्का हो जाता है।
तो मेरे लिए पाद सेवन का मतलब यही है ..दिल से प्रार्थना करते रहना कि मैं उनके पैरों की “घुंघरू” बन जाऊं सदा के लिए।
5.अर्चन :
ईश्वर की पूजा करना। अब यहां ऊपर की बात याद रखने योग्य है कि पूजा तन और धन से ही नहीं मन से भी करें तो ही सच्ची अर्चना होगी।
मन से पूजा का मतलब है कि जिस भी गुरू को आप मानते हैं उन की सीख को अपने जीवन में उतारना कि कोई आप से मिले तो उसे आप नहीं ..आप में आप के गुरू की छवि दिखाई दे।
आप लोगों के मन पर घांव नहीं छाप छोडे!
 
बहुत मुश्किल है ये कर पाना पर हम कोशिश करेंगे तो इसे मुमकिन सांई खुद बनाएंगे। जैसा वो कहते हैं..
तुम मेरी ओर एक कदम बढ़ाओ मैं तुम्हारी तरफ दस कदम बढ़ाऊंगा।”
6.वंदन
अपने गुरू या पूजनीय जन को नमस्कार करना और उनकी सेवा करना।
आज कल मुझे कुछ पल के लिए सांई हर इन्सान.. हर जीव में महसूस होते हैं .. तो उन सब को सांई का ही स्वरूप मानकर उनसे व्यवहार करना ही वंदन है।
यह भाव बहुत करीब जा चुके भक्तों में अच्छे से नज़र आता है ..इसलिए मुझ में तो चांद की तरह घटता बढ़ता महसूस होता है।😅
7.दास्य
यह और भी पहुंचे हुए भक्तों का गुण होता है।
खुद को अपने गुरू का दास समझकर सब उन पर समर्पित कर देना।
यहां मैं खुद का बताऊं तो सच ये है कि सांई के कहने पर सुबह जल्दी भी नहीं उठा जाता मुझ से। बाकि तो आप समझ गए होंगे।🤭
हां ..यहां मुझे हनुमान जी याद आ जाते हैं.. हनुमान चालीसा की एक लाइन ” सदा रहो रघुपति के दासा” इसे अच्छे से दिखाती है।
जिन के लिए अपने गुरू का दास रहने की दुआ दी जाए.. उन के गुणगान में ..तो हम सोच ही सकते हैं ऐसे भक्त कितने पहुंचे हुए होंगे।
मैं आजकल खुद को यह इच्छा करती हुई पाती हूं ” हनुमते मुझे सांई का ऐसा दास बना दो जैसे आप श्री राम के थे.. चाहे कितने ही जन्म क्यूं ना लग जाएं।”
मेरी प्राथनाएं निकलती मेरे मुंह से है पर होती सांई की दुआं है।
मतलब आप के मुंह से निकली दुआ भी उस की इच्छा से निकलती है।
8.साख्य
इसे और भी उच्च श्रेणी कहा जाता है ..जहां ईश्वर को अपना परम मित्र मानकर अपना सब उसे सौंप दिया जाएं।
यहां मित्र की उपमा इसलिए दी जाती है क्यूंकि हर रिश्ते में हमें खुद के चरित्र का ..स्वभाव का.. अपने अनुभवों का.. कोई ना कोई अंश छुपाना पड़ता है।
सिर्फ एक सच्चे मित्र से हम सब कुछ बेझिझक कह सकते हैं ..और उस के सामने हम पूरी तरह “हम” रहते हैं।
इस अवस्था में आप को ना यह होश होता है कि आप कैसे दिख रहे हैं या क्या कर रहे हैं.. आप पूरी दुनिया को पागल ही लगने लगते हैं इस में .. जैसे मीरा जी की उपमा दी जाती है। जैसे सांई शुरू में शिर्डी में आए थे.. तब ज्यादातर लोगों को पागल ही लगते थे।
9.आत्मनिवेदन
यहां अर्थ तो खुद को सौंप देना ही है पर साख्य और आत्मनिवेदन में अंतर ये है कि यहां भक्त भगवान से एकाकार हो जाता है .. यहां सांई आप के दोस्त नहीं आप ही सांई बन जाएंगे।
तो यह सब इतनी सी बात में सिमट जाता है कि आप सांई को / अपने गुरू , अपने ईष्ट को चाहे जैसे हो सके.. जहां हो सके याद करते रहे।
आप जितना उन में ध्यान लगाएंगे .. उतना उन्हें सुन भी पाएंगे और अनुसरण (follow) भी कर पाएंगे।
चाहे आप काम कर रहे हो.. खाना बना रहे हो या अकेले बैठे हो।
चाहे नहा रहे हो या कपड़े धो रहे हो।चाहे पूरे ध्यान से याद करें या उछलते कूदते मन से।
इन में से कोई ना कोई रास्ता आप अपना ही सकते हैं परिस्थिती के हिसाब से।तो फिर कौन सी चाबी(चाबियां) है आप की?
जो भी रास्ता हो आप का..
बस याद रखें वो भगवान . वो मालिक .. वो अल्लाह आप के बहुत पास है.. आप की हर बात को सुन रहे है ।
कुछ उन्हें याद कीजिए..कुछ खुद पर ध्यान दीजिए और फिर देखिए आप के जीवन को वे कैसे जगमगा देते हैं।😊
भाव की चिंता मत कीजिए जब हम बार बार किसी की अच्छी बातों को सोचते हैं और उसकी तारीफ करते हैं .. मन में या बोलकर .. तो उससे प्यार होना स्वाभाविक है .. चाहे फिर वो इंसान हो या भगवान।
आज के लिए इतना ही।
कल मिलते हैं सांई के एक अद्भुत अनुभव के साथ।
आप वह तमिल गाना सुनना चाहें तो नीचे की link पर जाएं ..
गुरू पादुका स्तोत्रम
आप को सांई सच्चरित्र पढनी हो तो यहां से download करें
👉सांई सच्चरित्र हिन्दी में ।
आप ने इससे पहले की हिन्दी post ना पढ़ी हो तो यहां से पढ़े..
 👉 करूणा बरस रही है करूणा भरी निगाह से ।
अपना ख्याल रखे ।
हंसते मुस्कुराते रहे ।😄
सांई की भक्ति में दीवाने रहे।❤️
ऊं सांई श्री साईं जय जय साईं 😇

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