वही अंधेरा ..वही रोशनी!

ऊं सांई राम, दोस्तों।

सांई बाबा
श्री हनुमान ने कैसे मुझे और मेरे दोस्तों को नकारात्मक ऊर्जा से बचाया था जिसे हम बुरी आत्मा कहते हैं।..ये तो आप पढ़ ही चुके हैं।
अगर आप ने नहीं पढ़ा है तो इस link पर जाएं 👉
(यह post english  में है।)
(अगर आप को यह post हिन्दी में पढ़नी है तो कुछ दिन बाद ज़रूर publish  करूंगी।😊)
उस हादसे के बाद मैं इतने डर में रहने लगी थी.. हर रात बुरे सपने और डर कर बीच रात में उठना .. और घड़ी में 2:30 या 3 बजे देखकर और डरना ,मेरा रोज़ का काम हो गया था।
ऐसा मन करता था कि सूरज कभी ढले ही ना.. और रात कभी आए ही नहीं।
इसके कुछ महीने बाद हमारी कोचिंग बन्द हो गई।
मैं भी बाकि सब की तरह घर आ गई पर उस साल उस डरावनी घटना के अलावा भी बहुत कुछ नया हुआ था मेरी जिंदगी में ..जिन में से एक था .. सांई बाबा का आना।
इन कुछ महीनों में मुझे सांई पर इतना विश्वास कैसे हो गया .. ये बात तो बाबा ही जानते है।
पर तब तक मुझे बाबा बहुत बार एहसास करा चुके थे कि वे मुझे हमेशा सुनते हैं .. वो भी उसी पल।
वह समय बुरी यादों का सागर होकर भी सबसे सुन्दर यादों वाला खज़ाना बन‌ गया सिर्फ बाबा की वजह से।
मुझे लगने लगा जैसे कोई है जो इतना सामर्थ्य रखते हुए भी मेरे जैसी एक भटकी हुई लड़की का पल पल ख्याल रखता है।
ऐसा क्या था जो वे मुमकिन नहीं करते थे । पर क्यूं करते थे ..उनका अनन्त प्यार महसूस करके कोई भी यह सोचने पर मजबूर हो जाएं कि ऐसा क्या है मुझमें ? 
मैं सच मे आश्चर्य चकित रहती थी ..बाबा बस गज़ब है .. क्या था जो मैंने मांगा हो..और उन्होंने पूरा न किया हो।
अचानक मुझे लगने लगा जैसे मैं भी कुछ हूं.. मैं भी उस ऊपर वाले के लिए मायने रखती हूं .. जो उस साल के इतने उल्टे पुल्टे अनुभवों के बाद मैं भूल ही गई थी।
“कौन हो बाबा आप .. ऐसा क्यूं लगता है कि आप को बहुत पहले से जानती हूं ..पर बिल्कुल जानती भी नहीं।”
अक्सर मेरा उन से यही सवाल रहता है।
आप उनके चेहरे को देख लो और बस देखते रहो .. आप को ऐसा लगेगा जैसे वे कोई जाने पहचाने से है ..दिल के बहुत करीब ..फिर भी हम बिल्कुल अन्जान है उनसे।
 एक अलग सा ..गहरा सा लगाव महसूस होता हैं उन से..जो हर गुजरते पल के साथ बढ़ता ही जाता है ।
एक और मुश्किल रात
तो उस घटना के कुछ महीने बाद मैं घर चली गई ।
और फिर से जयपुर लौटी PMT की परीक्षा देने।
उस समय हमारा रैन बसेरा था जैसलमेर में।
इसलिए जयपुर में पापा और मैं एक परिचित की धर्मशाला में रूके।
पापा सो गए थे .. पर मुझे नींद नहीं आ रही थी .. मेरी तैयारी सिर्फ इतनी थी कि मैंने सिर्फ biology पढ़ी थी जो मैं बिना किसी अध्यापक (teacher) के पढ़ सकती थी।
पर सांई के आने से ..ऐसी खराब तैयारी के साथ भी परीक्षा देने में डर नहीं लग रहा था।
उनकी वजह से मन में यह विश्वास था कि कुछ भी हो वो मुझे एक और मौका जरूर दिला देंगे जब मैं अपनी तरफ से बेहतर कर पाऊंगी।
2 बज गए थे ..मैं करवट बदल बदल कर सोने की कोशिश कर रही थी पर नींद का नामों निशान नहीं था।
सांई से विनती की और उन्हें याद करते करते मुझे नींद आ गई।
मैं गहरी नींद में जाती उससे पहले ही मुझे मेरा शरीर जकड़ गया हो, ऐसा लगा।
मुझे घुटन होने लगी और ऐसा लगा मेरा शरीर मेरे ही बस में नहीं है ..मैं बिल्कुल हिल नहीं पा रही थी.. ना ही कुछ बोल पा रही थी ना ही आंखें खोल पा रही थी।
जबतक मैं कुछ समझती कि मेरे साथ क्या हो रहा था .. मेरी बन्द आंखों से ही अब मैंने देखा कि मेरे सीने पर एक लड़की बैठी हुई थी ।
जाने क्यूं वो मुझे इस हाल में देख बहुत खुश हो रही थी।
उस ने दोनों हाथों से मेरे हाथ कसकर दबा रखे थे।
मुझे आज भी उसकी हवा में झूलती दो लम्बी लम्बी चोटियां याद हैं।
एक बार के लिए ..मैंने तो मान लिया था कि अब मुझे कोई नहीं बचा सकता ।
कोई समझ में आने वाली चीज से फिर भी मैं कोशिश करती खुद को बचाने की ..पर यहां तो सब बस और समझ के बाहर लग रहा था।
मेरी आवाज़ भी नहीं निकल रही थी तो किसी भगवान का नाम लेना भी मुमकिन नहीं था।
मैनें यहां उस स्थिति को दर्शाने के लिए इतने वाक्य लिखें है पर यह सब कुछ मेरे साथ मुश्किल से एक या दो मिनट में हो चुका था।
मेरी घबराहट चरम पर पहुंच गई जब मैं ने उस लड़की की बात सुनी ..अजीब बात थी उस ने अपने होंठों से कुछ कहा नहीं पर मुझे सब साफ़ साफ़ सुनाई दिया ।
(मुझे एक भूत ने समझाया.. वो फिल्मी गानों की लाईन का मतलब .. मैने कहा भी नहीं और तुम ने सुन भी लिया।🤭)
उसने बिना कहे.. कहा “अब कहां जाएगी? बहुत दिन भाग ली तू”।
उस के इन शब्दों ने मेरी आंखों के सामने एक साल पहले की वो घटना ला दी और मुझे समझ आया कि इस लड़की की ऐसी आकृति को ही मेरी दोस्त सोनिया ने मुझसे बताया था.. जब इसने मेरी दोस्त को भी कुछ इसी तरह वश में करना चाहा था.. जिसे हम कई बार “दबने” के नाम से बुलाते हैं।
इस के बाद जो हुआं वो मुझे अब भी एक सपना ही लगता है ।
अब तक कसमकस कर रही मैं एकदम शान्त हो गई .. मैंने मेरी लड़ाई छोड़ दी और बिल्कुल उसी की ही तरह.. पर दिल में एक अजीब सी शान्ति के साथ.. मैं उस पर हंसने लगी।
और मैं ने बिना मुंह खोले उससे कहा “तरस आ रहा मुझे तुझ पर .. ले मैं लड़ नहीं रही तुझसे ..आ करलें जो तू कर सकती है ।” 
एक भूतनी मेरे ऊपर बैठी थी पर मैं उसी पर हंस रही थी, ऊपर से उसे खुला न्यौता दे रही थी .. ये सपने से कम नहीं।🤣
उन कुछ पलों में ऐसा लगा .. डर का जैसे एक कतरा भी ना हो मुझमें।
कुछ सैकेंड रूककर मैंने फिर से उसी हंसी के साथ कहा “कर लें जो तेरे बस में हो ..मेरे सांई के रहते तू मेरा कुछ नहीं बिगाड़ सकती।”
सांई का नाम आते ही वह गायब हो गई और मेरी आंखें खुल गईं।
और फिर इतना डर लगा🤭 ..
पापा को परेशान नहीं करना चाहती थी ..इसलिए उन्हें उठाया भी नहीं। सांई का नाम लेती रही जबतक 4 नहीं बज गए ..और तब जाकर सोई।
इस के बाद यह विश्वास हुआ कि मेरी रूह सांई को मुझ से ज्यादा मानती है .. क्यूंकि वो बात जो मैंने कही .. यकीन नहीं हुआं कि मैंने कही .. वो दृढ विश्वास.. वो हंसी उडाना वो भी एक भूत की .. 😅 मेरे तो बस की बात नहीं।
अब ऐसा लगता है ..वो आवाज़ सांई की ही तो थी .. वो मेरे अन्दर ही तो है .. वो मेरी रूह ही तो है।
आजकल मुझे मेरी अतीत की बातें ज्यादा समझ में आने लगी है।
यह ऐसा है जैसे आप एक दिमाग हिला देने वाली फिल्म देखो पर वो उस वक्त आप को समझ ना आ पाएं .. पर जब कोई और आकर आपसे अपना नज़रिया और अनुभव बांटे,  तब जाकर आप को उस फिल्म के हर scene की अहमीयत दिखने लगे।
 


इसी तरह सांई ने उन अंधेरे पलों की भी अहमीयत महसूस कराई.. उन से पहले तो वो यादें.. दिल पर एक बहुत बड़ा बोझ थी।
जबकि अब उन पलों के लिए भी बाबा की दया से मेरे दिल से शुक्रिया की दुआ ही निकलती है।
 
 सांई आप के घांव इस तरह भरते हैं कि आप उन घांवो को और घांव देने वालों को भी शुक्रिया देने लगते हैं।
 क्यूंकि वें आप को एहसास दिलाते हैं कि जो भी आप के साथ हुआं ..एक बहुत बड़ी ईश्वरीय योजना ( divine plan) का हिस्सा था और जिन लोगों को आप अपना दुश्मन मानने लगे थे , वे तो उन्हीं का एक ज़रिया थे आप को खुद की और मोड़ने का।
सांई लीला
एक बहुत ही सुन्दर बात वेन्कट ने लिखी थी उन के ब्लोग में..
“Sai is a reflection of what I think and do”
(आप उनका ब्लोग पढ़ सकते हैं 👉 starsai.com.. इस ब्लोग की प्रेरणा मुझे उनके ब्लोग से ही मिली। )
“मतलब सांई बाबा मेरे ही विचारों और कृत्यों (actions) का प्रतिबिम्ब है।”
यह इतनी गहरी बात है कि जब तक आप इसे खुद के जीवन में होते हुएं ना देखे तब तक इसका अर्थ आप से दूर ही रहता है।
मेरे जीवन में यह एहसास ऊपर बताई घटना के बहुत साल बाद हुआं।
इसका मोटा मोटा अर्थ है कि किसी एक समय पर बाबा की बात हमारे उतनी ही समझ आएगी जितनी खुली हमारी सोच है।
यह सोच, सांई धीरे धीरे खोलते जाएंगे और कुछ समय बाद सांई की वही बात आप को सही मायने में समझ आएगी।
बाबा, हमारी तरह एक ही बार में, अपना पूरा ज्ञान हमारे ऊपर नहीं डालते .. वो सिर्फ उतने शब्द ही कहते हैं जो हमारी उस समय की समझ के भीतर समा सके।
जैसे इस घटना के बाद मेरे अन्दर एक विश्वास आ गया कि मुझे बुरी ऊर्जा से बचाने के लिए बाबा है .. पर अभी भी मेरे लिए “बुरी ऊर्जा” क्या होती है?.. का एहसास बाकि था।
इसके 6 साल बाद भी जब मेरा अंधेरे का डर दूर ना हुआं तब बाबा ने अपनी यह लीला मेरे सामने लाकर मुझे एक नया नज़रिया दिया..
यह घटना विन्नी चितलुरी (बाबा की एक भक्त ) ने अपनी एक किताब में लिखी है।
 (इसके शब्द थोड़े अलग हो सकते हैं .. मुझे जैसे याद है.. वैसे यहां लिख रही हूं। गलती के लिए माफ करें।)
एक बार बाबा का एक भक्त खुले में शौच करने गया । चारों और घना अंधेरा था। जैसे ही वह झाड़ियों के पास जाकर नीचे बैठा उसे कुछ सरसराने की आवाज़ आई।
उसे लगा कोई सांप तो नहीं , इसलिए वह उठकर इधर उधर देखने लगा। तब उसे खुद से थोड़ी दूरी पर एक सफेद धूंधली सी आकृति दिखाई दी।
उस आकृति ने उसे क्रोध भरे स्वर में कहा “यह मेरी जगह है .. मैं तुझे कह रहा हूं .. यहां से चला जा।”
वह भक्त एक बार के लिए तो चौंका पर फिर हिम्मत जुटा कर बोला “मैं क्यूं जाऊं यहां से.. नहीं जाता ना ही तुझसे डरता हूं। “
उस आकृति ने जैसे भक्त का मन पढ़ लिया हो “हां मुझे पता है .. तुझे उस सफेद कुर्ते वाले बाबा का बड़ा रौब है।”
इतना कहकर वह गायब हो गई।
अगली सुबह जब वह भक्त अपनी मां के साथ द्वारकामाई गया तो बाबा बोले “रात में किससे मिल कर आ रहे हो? “
उसे पता था बाबा से कुछ छुपा नहीं है‌ ,तो उसने जवाब दिया
 “बाबा .. एक भूत से।” 
“अच्छा ? अरे भूत नहीं वो तो मैं था।”
“नहीं बाबा वो भूत ही था।”
“अरे तुमसे गलती हुई है .. वो मैं ही था .. चाहे तो मां से पूछ लो।”
 
उस भक्त ने अपनी मां की ओर देखा तो वह भी बोली “हां , वो बाबा ही थे .. क्यूं कि इस संसार की हर आत्मा में सांई ही तो हैं।”
 
इस कहानी को पढ़के ऐसा लगा कि मैं यूं ही अच्छी बुरी ऊर्जा की बात करती थी .. सब तो बाबा ही है तो भला बाबा से क्या डरना।
 
 कितनी खुबसूरत बात है ये😭.. इसने मेरे विचारों को कैसे बदला शायद मैं ना समझा पाऊं इसलिए बाबा से प्रार्थना करती हूं कि आप को इसका खुबसूरत एहसास कराएं जब आप को इस की जरूरत हो।
 
वही अंधेरा वही रोशनी !
गूढ़ अर्थ
अब यह बात तो सीधी सीधी आत्मा पर थी कि सब तरह की आत्माएं उन्हीं का स्वरूप है।
पर अब इसके पीछे की गूढ़ बात करें जो कुछ ही दिन पहले बाबा ने समझाई..
“बाबा अब तो सब आप का रूप है .. यह भी समझ आ गया मुझे … फिर यह अंधेरा मुझे इतना डराता क्यूं है?”
“क्यूं कि तेरा असली डर खुद के अन्दर का अंधेरा है .. वो बुरी ऊर्जा तो तेरे अंदर ही हैं.. बाहर का अंधेरा तो सिर्फ तुझे उस की याद दिला देता है।”
“पर खुद के अन्दर के अंधेरे से कैसे बचा जाएं सांई?”
“उससे ना भाग कर”
“मतलब बाबा?”
“मतलब जिस तरह तुझे समझ आया कि मैं रोशनी हूं तो अंधेरा भी हूं.. उसी तरह अब तक अपने अंधेरे के स्वरूप से तू भागती आई है .. अगर उससे डरना नहीं है तो यह फिजुल लड़ाई छोड़नी होगी.. यह बात समझनी होगी कि तू ही रोशनी भी है और अंधेरा भी।”
“जैसे उस एक पल में जब मैंने उस भूत से लड़ना बन्द किया तो मेरा सारा डर जाने कहां चला गया था।”
“हां बेटा .. तुम्हे इससे लड़ना नहीं है ..पहले इसे स्वीकार करो कि यह कहीं बाहर नहीं तुम्हारे ही अन्दर है.. फिर कुछ समझ में आएगा।और फिर उस भूत की ही तरह इसे भी मेरे चरणों में सौंप देना ।”
“और उस की ही तरह यह भी भाग जाएगा.. है ना सांई।”
“इतनी आसानी से नहीं ..पहले यह तो बताओं यह “अंधेरा” है क्या?”
“मेरे अवगुण?”
“हां ..पर इन से तुम इतना डरने क्यूं लगी? कभी सोचा हैं?”
“नहीं बाबा”
“ये अवगुण .. डरावने अंधेरे में इसलिए बदल गए क्यूं कि तुम ने जाने कितने ही जीवों को इसी डर की.. इसी अंधेरे की अनुभूति दी है।”
और सांई ने मेरी आंखों के सामने इसी जन्म के अतीत के इतने मंजर ला दिए जिन्हें देखकर मुझे घुटन होने लगी ..
कितने दिलों पर मैंने अपने शब्दों से वार किए .. कितनी प्यारी मुस्कुराहटों को मैंने आंसुओं में बदल दिया.. कितने मेरे अपने तकलीफ में थे पर मैं ने मेरी जिंदगी को उन से बढ़कर रखा।
कितने अपनों के प्यार को मैंने बेदर्दी से ठुकरा दिया।
 बाकि जीवों का तो छोड़ो ..मैं तो जुबां वालों की कराहों को अनसुना करती रही।और खुद की कमियां मुझे हमेशा दूसरों में दिखती रही।
 
और कबीर जी का यह दोहा मेरे दिमाग में घुमने लगा..
 
 “बुरा जो देखन मैं चला.. बुरा ना मिलिया कोई..
जो मन खोजा आपना .. मुझसे बुरा ना कोई ।।”
हम खुद की बदसूरत सच्चाई से भागते रहते हैं .. और उस अंधेरे को और गहराते जाते हैं।
सांई मेरी उदासी को देख कर फिर से बोले ..
” तू चिंता मत कर.. जितना तूने अंधेरा घोला है उन के जीवन में .. उतने ही अब दिए जलाने होंगे .. और तेरी रूह का अंधेरा दूर होता जाएगा।”
“क्या मेरे बस की बात है ये.. बाबा?” मेरा मन पूछ रहा था।
सांई  से जिस जवाब की उम्मीद थी वहीं मुझे मिला भी ..
“मैं हूं ना!”
“तेरे जीवन में जो दिए मैंने जलाएं हैं तुझे सिर्फ उन की रोशनी दूसरों से बांटनी है .. दिए जलाऊंगा मैं ही तुझे बस खुद रोशनी बने रहना है।”
“ऐसा ही हो बाबा।” मैंने अपना सिर उन के सामने झुका लिया।
थोड़ी ज्यादा गहरी बात हो गई आज।😋
अंत में..
सांई के चरणों में प्रार्थना है कि वें हमें अपना दिया बना लें.. सदा के लिए।
फिर मिलते हैं कुछ और सांई के अनुभवों के साथ ।
हंसते मुस्कुराते रहे.. औरों के जीवन में भी मिठास घोलते रहें।
जाने किस पल आप किसी के लिए एक रोशनी बन जाएं और उस रोशनी से सिर्फ उस का नहीं.. आपका भी जीवन जगमगा जाएं।❤️
ऊं सांई श्री साईं जय जय साईं 😇

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