अपना तरीका बदलें, लक्ष्य नहीं!

Shirdi Saibaba in blue dress
Shirdi Saibaba

ऊं सांई राम दोस्तों।आपका सांई की इस नई साइट पर स्वागत है।😊आज हम बात करेंगे कि किस तरह हम अपना तरीका बदलकर अपना परिणाम बदल सकते हैं।

बाबा सांई ने पिछले साल मुझे एहसास कराया कि मैं अपनी जिन्दगी की सीढ़ी पर अटक गई थी। हालांकि बाबा की कृपा से सब सही था पर मुझे लगने लगा था कि मुझे मेरे जीवन में कुछ बदलने की जरूरत है।

अब यह पता कैसे चला कि मैं अटकी हूं 🤔 ..

•एक तो मैंने अपनी प्री-पीजी मेडिकल की परीक्षा उत्तीर्ण नहीं की थी। मैंने एक साल यह परीक्षा दी पर उस साल पता नहीं क्यूं आखिर के कुछ महीने मैं चाह कर भी पढ़ नहीं पाई।उस समय ऐसा लगता था मेरा दिमाग ,मेरा मन मेरे ही नियंत्रण में नहीं है। मैं बहुत कुछ करने का सोचती पर असल में मेरा दिमाग मुझसे यही कहता रहता “तू कुछ नहीं कर सकती।”😓

•दूसरी बात यह कि मैंने खुद के बदलते स्वरूप को देखा .. ऐसा महसूस हुआं जैसे कहीं से कोई गुस्से का ज्वालामुखी मुझमें फूट पड़ा हो। मैं किसी को गुस्से में कुछ भी बोलने लगी ..मेरी मम्मी , मेरे भाई , मेरी भाभी ,मेरे पति ।इतना गुस्सा आया कहां से ,कुछ समझ नहीं आता था, या समझना मैं चाहती ही नहीं थी।

हम हमेशा .. हमेशा जानते हैं ..मन के किसी छोटे से कोने में ही सही कि जो हम कर रहे हैं दूसरों के साथ, वो बिल्कुल सही नहीं है ,पर यह सच देखने की हिम्मत बिना ऊपर वाले की कृपा के नहीं आ पाती। क्यूं कि तब तक हम अपने व्यवहार का कारण दूूूूूसरों का व्यवहार मानते हैं।

मैं ने या ऐसे कहूं कि सांई ने मेरे लिए यह तय किया कि मुझे अपने लक्ष्य को एक और मौका देना चाहिए। मैंने जैसे ही पढ़ाई शुरू की .. वही चिंता ,वही डर मेरे दिमाग पर हावी होने लगा।अब तो मुझे रात को जागकर पढ़ने में ऐसा लगता जैसे इस अंधेरे से मैं मर जाऊंगी। मैं यहां अतिशयोक्ति में (बढ़ा चढ़ा कर) बात नहीं कर रहीं ‌। दरअसल जो मुझे हो रहा था उसे मेडिकल भाषा में anxiety attack कहते हैं। उन कुछ पल में आप को ऐसा महसूस होता है ,जैसे आप कहीं बुरी तरह फंस गए हैं ..और वही तड़प कर आप खत्म हो जाएंगे।

मेरे पास मेरी समस्याओं का हल बस सांई ही होते हैं 😊.. दवाई कब तक ले ,जबकि इलाज कुछ और है इसका। मैं ने आध्यात्मिकता मज़े के लिए या किसी को दिखाने के लिए नहीं चुनी। उन तकलीफों के लिए जब मैं ने सारे उपाय कर लिए, तब सांई ने मुझे मेरी सच्चाई देखने की हिम्मत दी।जब हम पूरी तरह टूटने लगते हैं तब ही हमें उस मालिक की याद आती है। तभी संत कहते हैं कि ऐसे हालात इस लिए आते हैं ताकि हमें पता चले कि हम जो खुद के घमंड को खुदा समझने लगे थे , वो सच्चाई नहीं है। और इस घमंड की आवाज़ को खुद पर हावी नहीं होने देना है।

अगर आप को लगता है आप कहीं अटक गए हैं तो यह आप के लिए है .. अपने जीवन के हर पहलु को जांचें ।

होता यह है कि अगर मुझे पढ़ाई या किसी और क्षेत्र में बार बार असफलता मिल रही है तो मैं इन में से कोई भी एक बात को अपना सकती हूं ..और इसी से निर्णय होगा कि इस बार मैं सफल हो पाऊंगी या नहीं।

•पहली यह कि मैं अपनी असफलता के लिए किसी स्थिति या किसी व्यक्ति को दोषी ठहराऊं।और अपना लक्ष्य ही छोड़ दूं।अब ऐसे में आपने अपने ही हाथों में “दूसरे लोग” नाम की बेड़ियां बांध ली क्यूं कि किसी और को खुद की दशा के लिए जिम्मेदार मानने का सीधा सा यह मतलब है कि जब वह दूसरा चाहेगा तभी आप सफलता पाएंगे , नहीं तो नहीं। मैंने ऐसा अपने जीवन की बहुत सी स्थितियों में किया है ..इतना कि किसी के कुछ शब्दों से मेरा पूरा सप्ताह.. खराब मूड़ में जाता था।

•दूसरा काम यह कि मैं हार ना मानूं क्यूंकि मुझे यह एहसास है कि लक्ष्य तो यहीं है मेरा , पर साथ ही उस लक्ष्य को पाने के लिए मैं खुद को, फिर से, पूरी तरह समर्पित भी ना कर पाऊं। ऐसा ही कुछ मैं ने मेरी असफलता के बाद किया था एक साल तक । यह हम तब करतें हैं जब हमारा हौसला हार गया हो पर किसी छोटी सी उम्मीद के सहारे हम आगे चलते रहें। यह हमारे मन की एक रक्षात्मक प्रतिक्रिया ( defence mechanism -psychology ) है। इस के अनुसार हम एक बार दिल को धक्का लगने के बाद , किसी भी स्थिति को अपना पूरा प्रयास देने से डरते हैं , ऐसा ही कुछ असफल प्रेम बंधन में भी होता है , किसी नए व्यक्ति से हम खुद को उतना नहीं जोडते ,जितना पहले व्यक्ति से जुड़े थे।यह होता तो अनजाने में ही है ताकि हम खुद को इस दुख से बचा सकें कि हमनें इतनी मेहनत की पर फिर भी हम सफल नहीं हुएं.. तो क्यूं ना हम मेहनत भी आधी अधूरी करें ताकि हारने पर इतना दुख भी ना हो।पर यदि आप समझ जाएं कि आपका दिमाग आप से यह करवा रहा है , तो जरूर आप इसे बदल पाएंगे।

अब आप जान गए हैं, तो यह समय है खुद पर फिर से भरोसा करने का। अपना फन्डा इतना सा बना लिजीए कि या तो मैं अपनी तरफ से सबसे अच्छा प्रयास दूं या फिर इस सपने को पाने की चाह छोड़ दूं।बीच में अटक कर आधी मेहनत करने से ना आप को सफलता ही मिलेगी ना ही आप के अपने लक्ष्य को पूरा ध्यान ना देने से आप को खुशी मिलेगी.. बल्कि भविष्य में पछतावा ही रहेगा कि काश एक बार अपना पूरा जोर लगा देते।

•तीसरी परिस्थिति यह कि आप सबकुछ पहले की ही तरह करने को तैयार हैं पर आप के हालात बदल चुके हैं .. पहले की तरह आप के पास पढ़ाई को देने को पूरा दिन नहीं है या आप के पास अब कोई जिम्मेदारी आ गई हैं।ऐसे में आप से जितना हो सके उतना करें। चिंता लेने से या जिम्मेदारी को कोसने से आप खुद को गहरे दलदल में फंसाते जाते हैं ।आपके जीवन की हर स्थिति एक दूसरे से जुड़ी हैं। और यह नई जिम्मेदारी/ स्थिति आप को सफल बनाने आई है । कैसे? यह हम अगली पोस्ट में देखेंगे।

•अगली स्थिति यह कि मैं अपनी तरफ से बेहतरीन करूं और बाकि सब भविष्य पर या उस मालिक पर छोड़ दूं। और यह कैसे किया जाएं यह भी हम कुछ समय में देखेंगे।

तो अब मैं अपनी कहानी बताती हूं आप को .. मैं ऊंपर बताएं गए सारे विकल्प चुन कर देख चुकी इसलिए यकीन मानिए.. जब मैं कहूं कि आप का भविष्य आपकी मुठ्ठी में हैं।

मैं देख चुकी थी कि दिमाग किस तरह हम पर राज करने लगता हैं । और ऐसे समय में आप को कोई ना कोई उपाय खोजना होगा जो आप को उत्साहित करें .. आप का खुद पर विश्वास बढ़ाएं और आप को चिंता में पागल होने से भी बचाएं।

मेरे लिए वह उपाय सांई की वजह से मिला।मुझे याद आया मैं कैसे बचपन में खुद को चिंता से दूर रखने के लिए गाने गाया करती थी , कैसे मैं एक बिन्दु पर अपनी नज़र टिका कर खुद की एकाग्रता (focus/concentration) बढ़ाती थी। चाहे आपने मेरी तरह यह बचपन से ना किया हो पर अगर आप को लगता है, आपका दिमाग भविष्य या भूत के बारे में बहुत सोचता है , तो आप को इस की जरूरत है। जैसे ही मैं ने ध्यान शुरू किया अपना दिमाग शांत करने के लिए.. तब सब कुछ साफ़ नज़र आने लगा .. कि कैसे मैंने अपनी बेड़ियां खुद बनाई।

ध्यान से आप को अपने जीवन की सच्चाई साफ़ साफ़ दिखने लगती है और सबसे बड़ी बात उस सच्चाई को स्वीकार करने की ताकत भी आप में आ जाती है।

आप को पता चलेगा कि यह जीवन कोई भूल-भुलैया नहीं है .. जहां जो चाहे, वो हो रहा हो.. जैसा हमें अक्सर लगता हैं । यह एक दम सीधा सीधा रास्ता है जिस में आप जिस तरह के विचारों को ऊर्जा देते हैं , वही ऊर्जा आप तक लौट कर आती हैं।और यकीन मानिए जब ऊपर वाला आप को यह एहसास करा दे कि आज जो मुसीबतें आप पर‌ आई हैं .. उनकी वजह ना आपके माता पिता है , ना वह प्रेमी जिसने आप को बीच में ही छोड़ दिया, ना कोई दोस्त.. ना ही कोई भाई बहन ..उन की वजह सिर्फ और सिर्फ आप है .. तब गनीमत से इस पश्चाताप के साथ अचानक आप की जिंदगी की डोर आप के हाथ में आ जाती है । कहने का मतलब आप को बुरा तो लगता है कि आप ने खुद को ऐसी बेड़ियों में रखा पर साथ ही आज तक जो भ्रम आपने पाल रखा था कि जीवन में “हम सबकुछ (सिर्फ 10% बातें ही लिखी है पहले से) पहले से लिखवा कर लाएं हैं या हमारी जिंदगी हमारे अलावा किसी और पर भी निर्भर करती है” .. टूट जाता है।

आप को पता चलता है कि सांई आप के अन्दर रहकर ही आप में बदलाव लाते हैं , वे आप से अलग नहीं है। यहां अंतर ध्यान देने योग्य है .. “सांई मैं ही तो हूं” यह सच है .. पर “मैं ही सांई हूं” यह सच नहीं। “आप अपनी किस्मत के रचयिता हैं” यह सच है पर इसका मतलब यह नहीं कि आप दूसरे लोगों की किस्मत के भी रचयिता हैं। यही फर्क है खुद के कर्मों की जिम्मेदारी लेने और दूसरों को अपने से कम समझने में। यही फर्क है आत्म विश्वास और घमंड़ में।

मैं जब भी सांई से कहती कि सांई मुझे खुद पर नहीं पर आप पर भरोसा है.. तब हर बार सांई मुझे संदेश देते.. “जो खुद पर यकीन ना कर पाएं , वो खुदा पर यकीन कैसे करेगा।” क्यूं कि मैं अपनी गलतियों के लिए खुद को माफ नहीं कर पाई थी‌ , इसलिए खुद पर से विश्वास उठ गया था।और खुद को माफ करने की जरूरत भी सांई ने महसूस कराई।

अब हम आते हैं उपाय पर..

•सबसे पहली बात तो अपने दिमाग में बिठा ले कि आप अपने जीवन को जब चाहें बदल सकते हैं ।

“जब जागो तभी सवेरा ।”

कभी देर नहीं होती .. होता है तो सिर्फ एक भ्रम कि हमें कम से कम इतने दिन पढ़ना है .. दिन में इतने घंटे पढ़ना है या एकदम आदर्श तरीके से पढ़ना है , नहीं तो हम सफल नहीं हो पाएंगे।

अब आप जान गए कि अभी भी बहुत समय है आप के पास‌ , और पढ़ाई को हर इन्सान के लिए एक ही तराजू में नहीं तोला जा सकता । आप किसी को आदर्श मानकर पढ़ते है , यह बहुत अच्छी बात है , पर सभी की ताकत और कमजोरी अलग अलग होती हैं। तो किसी और से प्रेरित होना है , उसे कोपी (copy) नहीं करना। आप की कुछ और खासियत है .. जिसे आपको उस प्रेरणा से मिला देना है। “मिशन मंगल” फिल्म में एक लड़का जो हमेशा ‘ रहमान सर’ (A.R. Rehman , music composer) से संगीत में प्रेरणा लेता था, जल्द ही उन की कोपी करने लगता है .. इसके लिए वह अपना रहन सहन भी उन की तरह करने लगता है .. उसे लगता है कि क्यूंकि रहमान सर संगीत में एक दिग्गज है तो बिल्कुल उन्हीं की तरह रहकर ही वह उन की तरह बन पाएगा , इसके लिए वह अपना धर्म भी बदलने को तैयार था।

पर उसकी मां की एक बात उसका नजरिया बदल देती है.. वें उसे बताती है कि किस तरह जो रहमान किया करते हैं, वह सबसे अलग होता है इसलिए उनकी रचनाएं लोगों को पसंद आती है । अगर वो उसकी तरह किसी की कोपी करते तो आज वहां नहीं होते, जहां वें हैं।

तो अगली बात ये कि कुछ लोगों को लगता है कि वो उस लक्ष्य तक पहुंच नहीं सकतें। तो एक बात अपने आप से पूछने की बारी है आप की .. अगर यह सच होता कि आप इस लक्ष्य को पाने के लायक नहीं तो क्या आप इसे अपना लक्ष्य भी बनातें ?.. क्या आप एक बार फिर उसे पाने की कोशिश करते? नहीं ना। तो खुद पर भरोसा रखिए कि आप इसे पाने के लायक थे और है।

अब आते हैं हम इस बात के उपाय पर कि चिंता या अतीत की असफलता आप को डराती है। तो इसका इतना सा इलाज है कि क्या आप ने एक बार की असफलता के बाद पीछे मुड़ कर देखा .. वहां नहीं जहां आप गिरे थे बल्कि वहां जहां आप फिसले थे। क्या कमी रही? .. क्या गलती हुई ? आप की असफलता आप को दुखी करने या सजा देने नहीं आई है .. वह तो आप को सिखाने आई है कि इस बार आप को कुछ बदलना है।

एक बहुत बेहतरीन लाइन है जो हमेशा मेरे दिमाग में रहती है “असफलता ..सफलता के विपरीत नहीं बल्की उसका एक हिस्सा है।” सांई ने मेरे इतने भ्रम दूर किए.. उन में से एक यह भी था.. असफलता को मैं एक अभिशाप मानने लगी थी।भले ही यह नज़रिया मैंने मेरे बड़ों से सीखा था पर अब सांई ने बता दिया था कि मेरा जीवन मेरे बस में है और दूसरे क्या कहते हैं उससे मुझे मेरी परिभाषाएं तय नहीं करनी।

फिर सांई ने मेरा अगला कदम बढ़ाया.. वह कदम था “खुद में बदलाव” आपने ये शब्द कहीं तो ज़रूर सुने होंगे “अगर हम वहीं करते रहें जो अब तक करते आ रहे हैं .. तो हमें हर बार वही परिणाम मिलता रहेगा जो अबतक मिलता रहा है।” अब यहां गौर इस बात पर देना है कि अगर आपको आपकी असफलता से आगे का “अ” हटाना है तो यहीं आगे का “अ” अपने जीवन में से भी हटाना होगा ।

जया वाही दी (सांईबाबा की एक परम भक्त) अक्सर बोलती है कि बाबा हमेशा कहते है (उन के ध्यान में) ” अगर आप के जीवन में एक ही घटना बार बार होती आ रही है .. तो वह घटना आप को कुछ सिखाने आ रही है .. कुछ ऐसा जो आप सीख नहीं पा रहें हैं । उस घटना को एक दुख का कारण बनाने की बजाय उस के अन्दर छिपी सीख को समझने की कोशिश करें। वह सीख क्या है .. तभी समझ आएगी जब आप खुद को बदलने के लिए तैयार हो जाएंगे ।और वह सीख लेते ही वो घटना दोहराना बन्द हो जाएंगी क्यूं कि तब उसका मकसद पूरा हो जाएगा.. जो था “आप को सीखाना”।

मेरे लिए खुद को बदलना बहुत ही मुश्किल था पर जीवन के हालातों ने खुद के दिमाग के डर, नफरत , गुस्से की आवाज़ से ज्यादा मेरे अन्दर सुनाई देने वाली सांई की आवाज़ पर भरोसा करना सिखा दिया था।अब यह विश्वास हो गया था कि वो कुछ चाहेंगे तो वह मेरे लिए बुरा हो ही नहीं सकता। पर सांई क्या चाहतें है , यह कैसे पता चले ? हम सब को अपनी समस्याओं का समाधान पता होता है पर जाने क्यूं हम देख नहीं पाते या समाधान करना ही नहीं चाहतें।

तो यह सब साफ़ होगा ध्यान से .. अपने आराध्य को दिल से याद करते रहने से। ध्यान से आप को किसी स्थिति में समस्या नहीं, सीख दिखने लगेगी। ध्यान से सांई क्या चाहतें हैं.. आप को पता चलने लगेगा। ध्यान से आप का अहम आप के कितने काम बिगाड़ता है , यह भी पता चलेगा । ध्यान से आप की खूबियां और निखरने लगेंगी और आप की खामियों को भी आप खूबियों की तरह देखने लगेंगे।ध्यान से आप को कुछ पल के लिए ही सही वह प्यार मिल जाएगा जो हम किसी इंसान , धन , सम्पत्ति , बाहरी चीजों में पाने की कोशिश करते रहते हैं पर कभी संतुष्ट नहीं हो पाते। यह कुछ पल आप को बहुत ज्यादा मजबूत बना देंगे।

यह बताने की आवश्यकता तो नहीं पर फिर भी सबको पता हो कि दुनिया के दिग्गज लोग रोज़ ध्यान को समय देते हैं .. उन में से एक नाम है.. बिल गेट्स।

तो हम थे खुद को बदलने की बात पर‌.. मैं यह तो नहीं बता सकती कि आप को क्या बदलना है पर अगर आप बाबा से पूछेंगे तो वें ज़रूर जवाब देंगे । मैंने ध्यान किया और पाया कि मेरे anxiety attack इसके अलावा और कुछ नहीं बता रहें थे कि मैं वह बनने की कोशिश कर रही थी जो मैं थी नहीं (एक गुस्सेल लड़की) या इसे सांई की भाषा में कहें तो जो घुटन ( anxiety ) मैंने दूसरों को दी थी ,इतने सालों से, अपने व्यवहार से.. वहीं एक बीमारी का रूप लेकर मुझ तक वापस आ रही थी। और उससे बचने के लिए मैं क्या कर रही थी ? और गुस्सा । अजीब बात है पर हम खुद ही अपनी लगाई आग को बुझाने की बजाय और भड़काते चले जाते हैं। सांई ने मुझे सपने में दिखाया कैसे मेरी गुस्से की आग मेरे चारों ओर फैल गई और मैं कहीं बच कर जा ना सकी । मैं ने सांई का नाम लिया पर इससे सिर्फ इतना हुआ कि मैं उस आग से जली नहीं पर वह आग बुझी भी नहीं।

मैं ने सांई के इशारे मानकर खुद की एक खामी (ईर्ष्या) को देखा और एक दोस्त से फिर से दोस्ती कर ली जिस के प्रति मैंने बहुत साल तक नफरत पाली थी।यह सुनने में बहुत छोटा कदम लगता है .. पर इससे मेरा जीवन इतना बेहतर हो गया कि विश्वास ना हो। सांई उस स्वप्न से शायद यही कह रहे थे कि वे बेशक मुझे उस आग से बचा सकते हैं पर आग बुझाना मेरे हाथ में ही है।

वो दिन था मेरी शुरूआत का .. “आप का एक अच्छा कर्म आप को दूसरे अच्छे कर्म की ओर खींचता है और ऐसा ही बुरे कर्म के साथ भी होता है। आप को एहसास ही नहीं होगा कब आप एक इंसान से दानव बन जाएंगे।” उस दिन से सांई ने मुझे इतने बदलावों के लिए प्रेरित किया , कभी कभी भटकना भी हुआ पर जब आप अच्छी कामना से अनजाने में गलत कार्य कर देते हैं तो मालिक खुद आप को सही राह पर फिर से ले आता है। मैं ने अपने बिखरे रिश्तें फिर से सम्भाले .. दिल से खुद को और बाकि सब को माफ कर दिया .. वें सब तो मुझे सिखा रहें थे कि कैसे मेरी भेजी हुई नफरत मुझ तक दुगुनी होकर लौटेगी। अपने बुरे कर्मों की जिम्मेदारी ली , दिल से दूसरों से माफी मांगी ( सामने नहीं तो प्रार्थना में) , अपने कर्म बदलें।

साथ ही सांई ने मुझे दूसरों के लिए एक रोशनी बनना सिखाया ।अब मैं पढ़ाई का बहाना लेकर.. जरूरत में पड़े मेरे अपनों को अनदेखा नहीं करती थी। साथ ही सांई कृपा से मैंने कुछ अच्छा करना शुरू किया .. अपना खाना .. समय, जीवों के साथ बांटना।

यह सब बदलाव किए जीवन के दूसरे क्षेत्रों में।

आप की जिंदगी में एक क्षेत्र में तकलीफ है तो इसका मतलब यह नहीं कि आप को उसी क्षेत्र में बदलाव लाने हैं। यह हम अपने संकरे दिमाग से सोचते हैं कि अगर मेरी पढ़ाई सही नहीं हो रही तो मतलब पढ़ाई पर और ध्यान देना है .. अगर आप ऐसा कर पाते तो पहली बार असफल न होते।अब आप को कोई बदलाव लाना होगा किसी और क्षेत्र में , किसी और रूप से।

मैं ने जब इतना कुछ बदला तब मुझे एहसास हुआ कि सांई ने वें बदलाव कराके मुझे एक और बदलाव के लिए तैयार किया .. वह था पढ़ाई करने के पीछे की भावना बदलना। पहले मेरी भावना रहती थी “सब की तारीफ पाना .. उन की नज़रों में अपनी अच्छी छवि बनाना ” पर सांई ने कहा “तुम्हें किसी से नफ़रत नहीं है अब, ना ही तुम्हें उन की बातों का डर है .. तो यह भावना तो अब बदलनी ही चाहिए .. उन को कुछ साबित करके क्या दिखाना जिन से तुम्हें अब भी प्यार है जब वें तुम्हारी तारीफ नहीं कर रहें। तुम्हारी “खुद के लिए हीन भावना” तुम्हें कहती थी कि कुछ साबित करने की जरूरत है। अब इस भावना को बदलो .. कुछ अच्छा करने के लिए।”

सांई के कहने पर मैंने अपनी पढ़ाई की भावना बदली .. अब मैं पढ़ने लगी खुद को बेहतर करने के लिए और परीक्षा देनी थी ताकि मैं लोगों के लिए और बेहतर तरीके से काम कर सकूं। आगे की बातें .. परीक्षा का परिणाम पूरी तरह सांई पर छोड़ दिया .. बार बार चिंता सताती पर फिर सांई मुझे मेरा उद्देश्य याद दिलाते।” परीक्षा उत्तीर्ण करना लक्ष्य नहीं है तेरा .. आज अच्छी तरह पढ़कर खुद को बेहतर बनाना है बस, आगे की बातें बाबा जाने।”

जब आप अपने दिल को प्यार की ओर मोड़ते हैं तो आप के लिए सफलताओं के दरवाजे खुद-ब-खुद खुल जाते हैं । और दिल में प्यार और कहीं से नहीं मालिक के प्रेम से आएगा .. ध्यान और उसके स्मरण से आएगा।आप को अलग से घंटों बैठने की जरूरत नहीं .. सिर्फ जो काम आप करते आ रहें हैं, वे मन में उन्हें सौंप दे .. चाहे नहाएं .. कपड़े धोएं .. चाहे खाली बैठे हो या खाना बना रहे हो .. चाहे किसी से बात कर रहे हो उस व्यक्ति को भी सांई मानकर बात करें । आप का जीवन आप के लिए हो रहा है .. आप के ऊपर थोपा गया नहीं है।ध्यान करें ताकि यह समझ आए कि जीवन के कौन से पाठ में आप बार बार असफल हो रहे हैं।

आज जो आप है ..वह बीते हुए कल के आपके ही कर्मों का परिणाम है .. यदि आज के अपने जीवन से आप संतुष्ट नहीं हैं , इसे बदलना चाहते हैं.. तो आज में परिवर्तन लाइए , तभी आने वाला कल बेहतर होगा। यकीन मानिए आप की मदद कोई नहीं कर सकता उस मालिक (आप) के अलावा । भले ही आप से और कुछ ना हो रहा हो .. उसे याद करने और खुद के विचारों को बदलने की प्रार्थना जरूर करते रहें। मेरा भरोसा कीजिए .. मुझे भी कुुछ अच्छा करने में बहुत जोर आता है पर सांई का नाम लेते ही ढेर सारी हिम्मत आ जाती है।

सांई ने पिछली साल आखिरी एक महीने मुझे एक नया पाठ पढ़ाया .. एक और बदलाव मेरे पढ़ने के तरीके में .. वह था ” समय समय पर खुद को जांचना।” मैं हमेशा इस काम को टालती आई थी .. पर एक अच्छा काम करने पर आप को दूसरा अच्छा काम करने की हिम्मत खुद मालिक देते हैं .. तो इस बार मैं mock test करती और खुद कहां कमजोर हूं यह जांचती और वहीं विषय फिर से पढ़ती .. और ऐसा मैंने आखिरी एक महीने में लगभग हर तीसरे दिन किया। मेरी रैंक उन परीक्षाओं में बहुत पीछे से आगे आती गई और जो रैंक आखिरी मॉक टेस्ट में आई थी, वही असल में प्री पीजी की परीक्षा में भी आई।

तो आप को इन बातों में से कुछ ऐसा लगा जो आप को करना चाहिए सफल होने के लिए तो ज़रूर कीजिए । समय की कोई कमी नहीं हैं । किस्मत आपकी रेखाओं में नहीं , आप की मुठ्ठी में हैं । हो सकता है आप अबतक जहां ताकत लगा रहें थे वहां कोई दीवार हो .. और असल में ताकत की जरूरत ही न हो अगर आप थोड़े से बगल में मौजूद दरवाजे को ज़रा सा धक्का दे पाए।

इस में कोई शक नहीं अगर आपने खुद पर ध्यान दिया और कैसे भी हालात क्यूं ना हो .. आप से जितना हो सका आपने किया .. तो सांई आप को आप की उम्मीद से भी बड़ी सफलता से नवाजेंगे । बाबा चाहते हैं आप खुद पर भरोसा रखें .. और हर स्थिति में उनसे हिम्मत लेकर खुद को बेहतर बनाते रहें। अपनी असफलताओं को सीख समझें .. सज़ नहीं । अपना तरीका बदलें , लक्ष्य नहीं।

मिलते हैं कुछ नई बात के साथ।

अपना ख्याल रखें । हंसते रहे मुस्कुराते रहे ।😊

ऊं सांई राम 😇

3 responses to “अपना तरीका बदलें, लक्ष्य नहीं!”

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