
हैलो दोस्तो, ऊं सांई राम। 😇
आज मैं आप से अपने वो पल सांझा करूंगी जो लगे तो मुश्किल थे, पर सांई को मेरे दिल में सदा के लिए बसा गएं।
वो ऐसा समय था जब मैं खुद की काबीलियत को भूल गई थी।मुझे मेरी ज़िन्दगी सज़ा लगने लगी थी। यह बात आप कई बार पढ़ चुके होंगे 🤭।आज ऐसी ही एक स्थिति के बारे में बताती हूं।
बाबा सपनों के द्वारा हमारे बुरे कर्म काटते है!
ये बात है MBBS के बाद के साल की, जब मै प्री- पीजी परीक्षा की पहली बार अच्छे से तैयारी करने लगी थी।हालांकि डॉक्टर तो जुड़ गया था मेरे नाम के आगे पर आज कल एक डॉक्टर “स्पेशलिस्ट” बनने के लिए कोशिश करता ही है। मेरी तैयारी शुरू में तो बहुत अच्छी हो रही थी।पर बीच में हालात ऐसे हुएं की पढ़ाई कुछ धीमी होने लगी।मेरी दीदी मेरे बहुत करीब रही हैं।और उस साल वें अपने पहले बच्चे के 10 साल बाद फिर से प्रेगनेंट(गर्भावस्था) थी । मैं अपने मकसद (परीक्षा में pass होने) को दीदी के होने वाले बच्चे से जोड़ने लगी क्यूं कि वो भी दिसंबर तक पैदा होता और मेरी परीक्षा भी।😄
एक रात को मुझे सपना आया .. जो कोई normal सपना नहीं था।सांई के दिखाएं सपने आपको इतने सच लगते हैं कि आप उठने के बाद भी कई दिन तक उनमें खोए रहते हो।इतने सच की सालों बाद भी आप उन्हें भूल नहीं पाते। ऐसा ही कुछ उस दिन हुआ।
सपना था .. मैं मेरी एक बहुत अच्छी दोस्त का जन्मदिन मना रही थी जो 31 जनवरी को आता है।और वहां बाकी दोस्त भी थे। वो सब हंस रहे थे , मज़े कर रहे थे।पर मुझे कुछ अच्छा नहीं लग रहा था और तभी मुझे किसी ने खबर दी मेरे परिणाम (result) की और उसे सुनकर मैं बेहोश हो गई। (इस परीक्षा का परिणाम भी लगभग जनवरी के आखिर में ही आता है)
इस सपने से उठकर डर तो लगा, पर मैंने खुद को समझाया की ऐसा कुछ होना ज़रूरी थोड़ी है।क्या पता ये सपना ऐसे ही आ गया हो।पर अंदर अब भी डर था कि कहीं ये सच हो गया तो।
इससे ज्यादा परेशान मैं दूसरे सपने से थी। जो इससे कुछ ही दिन पहले आया था उसमें मैंने देखा जैसे दीदी का बच्चा एक लड़की है और वो सपने में मेरे और दीदी के सामने खड़ी थी और रो रही थी।उसकी आंखे नाक और सब कुछ अजीब सा था। ऐसा लग रहा था उसके आकार सही से नहीं बने। और मैं भी उसे देख कर रोएं जा रही थी और उस से कहे जा रही थी “तुझे मारना होगा बच्ची , तू ठीक नहीं है , हम तुझे रख नहीं सकते , तुझे मारना होगा।”
जब मैं नींद से उठी तो मेरे होश उड़े हुए थे।सांई के पोस्टर की तरफ देख कर प्रार्थना की कि ऐसा कुछ ना होने दे।और मेरा ये कहना की मै उसे मारना चाहती हूं समझ नहीं आया।बहुत बुरा लग रहा था पर दीदी से कुछ नहीं कहा क्योंकि वे उस समय बहुत जल्दी परेशान हो जाती।
मैं पूरे दिन पढ़ती पर रात को सोते समय फिर से सब याद आ जाता।किसी से क्या कहती कि एक सपने से डर रही हूं।उन्हें कैसे समझाती कि सांई का सपना मुझे कितना सच लगता था।जब भी देर रात में घर से कोई फोन आता, मैं पहले ही कांपने लगती कि कुछ ग़लत हो गया।
और फिर सितंबर में एक दिन सुबह 4 बजे मेरी मम्मी का फोन आया। वो घबराई हुई थी और बोली की दीदी के रात 2 बजे से खून चलने शुरू हुएं और रुकने का नाम नहीं ले रहे थे और घर वाले उन्हें हॉस्पिटल ले गए हैं।मुझे कुछ समझ नहीं आया और डर लगने लगा , वहीं सपना आंखो के सामने घूमने लगा । घबराहट ये थी कि अभी गर्भ को सिर्फ 6 महीने हुए थे।ऐसे समय पर ऐसा होना सही नहीं।
मैंने सांई से प्रार्थना की। भाई ने मुझे बताया कि बच्ची हुई है और उसे आईसीयू ( ICU) में रखा गया है। मैं सांई से प्रार्थना करती रही कि सब सही हो जाएं।पर मन में जैसे सांई कह रहे हो “बेटा तुझे जाना होगा , आज तक तूने कोई जिम्मेदारी नहीं निभाई है क्यूंकी कोई ना कोई बड़ा संभाल लेता था। पर आज तेरी बारी है।”
साथ ही मुझे पढ़ाई की चिंता भी थी पर सांई की कृपा से मैंने वहां जाने का फैसला किया।
सब बहुत अजीब सा लग रहा था।दीदी की रो रो के बुरी हालत थी।और उस बच्ची को देख भी नहीं पाई थी, ना वो खुद ना मैं। मैं उन्हें खुश रखने की कोशिश करती और सांई की बाते करती उनके साथ।पर डर मुझे भी लगता रहता । कभी बच्ची को संभालने जाती कभी दीदी को , फिर घर जाकर खाना लाती और डॉक्टर से बात करती। मुझे पता नहीं था मेरे अंदर इतनी हिम्मत भी थी क्या। पहले कभी किसी बड़े के बिना ऐसे काम नहीं किए थे और जब अपनों की बात आएं तो कोई भी घबरा जाता है।उस समय मेरी हिम्मत और कोई नहीं सांई ही थे।उनके भरोसे ही सब हुआ। ऐसा 5 दिन चला। और आखिरी दिन मैंने सांई का सीरियल देखा और ऐसा लगा जैसे सांई कह रहे हो “उसे आजाद कर दो”
मेरी समझ से बाहर था सब , बाबा ऐसे क्यूं कह रहे थे , ऐसा नहीं हो सकता। इस बच्ची से इतने सपने जोड़ लिए थे । मैंने तो उसका नाम भी सोच लिया था ” सांईक्या “। पर बार बार ऐसा लग रहा था “उसे आजाद कर दो , वो तड़प रही है।” जैसे उसे जाने देना ही सब के लिए सही हो। पर मैं तो एक तीसरी इंसान थी , एक मां का फैसला मैं कैसे कर सकती हूं, सांई।
सांई के कहने पर मैंने बच्ची के लिए विष्णु सहस्र नाम किया ताकि उसकी पीड़ा कम हो।और जैसे ही सोने लगी तो सांई ने मुझे दिखाया जैसे इनमें से सिर्फ एक ही दीदी के पास रह सकता है .. सात्विक (दीदी का 10 साल का बेटा) या सांईक्या। दोनों नहीं। यह vision देखकर मेरी रूह कांप गई। इसके आगे मुझे कुछ नहीं दिखा। मैंने अपनी तरफ से उस बच्ची को आज़द कर दिया। दीदी से सुबह ये बात बताई और उनसे भी कहा कि वो प्रार्थना ना करें, उसे बचाने की, क्यूं कि यह सही नहीं। मैं सोच भी नहीं सकती कि एक मां पर ऐसे समय क्या गुजरती होगी।
उसी शाम रेजिडेंट का फोन आया कि सांईक्या को ले जा सकते है। मैं उसे लेने गई , मेरे हाथों में उसका मृत शरीर था और मेरे आंसू सूख गए थे। मुझसे पहले एक दादाजी अपने पहले जन्में.. मृत पोते को ले जा रहे थे। उन्हें देख कर लगा उनके लिए कितना मुश्किल होगा , मेरी पीड़ा तो कुछ भी नहीं।
अगले कुछ दिन बहुत मुश्किल थे। पर सांई ने कभी साथ नहीं छोड़ा। मैं खुल कर रोई भी नहीं क्यूं कि दीदी को संभालना था।और सांई से एक वादा मांगा कि हमारे घर में इसी बच्ची को फिर से जरूर भेजे , अगर यह इच्छा सही रहे तो। और उन्होंने उसी समय मुझे इशारा किया कि वो ऐसा जरूर करेंगे। साथ ही उन्होंने मुझे बताया कि सांईक्या बच्ची उन के साथ महफूज हैं, उसकी पीड़ा खत्म हो गई थी।
कुछ दिन बाद हॉस्टल आ कर मैने सब भूल कर पढ़ ने कि कोशिश की । पर मेरा दिमाग मेरा साथ ही नहीं देता था। मै खुद से परेशान हो गई थी। अब ऐसा लगता था कि एक सपना सच हो गया, तो सांई का दूसरा सपना भी सच ही होगा, फिर पढ़ कर भी क्या हो जाएगा। बस उस समय कुछ अच्छा हुआ तो ये कि मेरे प्यारे दोस्त मेरे साथ थे। भले ही उन्हें मेरे अंदर क्या चल रहा था , ये नहीं पता था। पर उन्होंने मुझे अकेला नहीं छोड़ा। मेरे पास सांई भक्ति के अलावा कोई रास्ता नहीं था। मैं दिन रात सांई को याद करती और रोती और प्रार्थना करती। जैसे ही कुछ पढाई होने लगी , बाबा ने तीसरा सपना दिखाया जैसे मेरी मम्मी के गले में कुछ घांव है।
मैंने अगले ही दिन मम्मी से पूछा तो उन्होंने बताया कि उनके गले से खून आते है कुछ महीनों से । और उन्होंने ध्यान नहीं दिया। मैने सांई से फिर पूछा कि बाबा अब ये क्या है । तो उनका जवाब सुन कर मेरे पैरों तले से ज़मीन खिसक गई। बाबा ने कैंसर होने का इशारा दिया।
उसी समय मेरे दो दोस्तों के घर में उनके अपने कैंसर से लड़ रहें थे।” मेरी मम्मी के साथ ऐसा कुछ हुआ तो मैं मर जाऊंगी बाबा “। ये कहते कहते मैं रोने लगती थी। किसी से क्या कहती, सब मुझे पागल समझते कि मैं सपने को सच मानकर पागल हो रही हूं। मेरे दिमाग ने जवाब दे दिया था। मैं ने पढ़ना बन्द किया और सांई को याद करती रहती। उनकी सच्चरित्र पहली बार तभी पढ़ी। और जया वाही दी की किताब भी । मैं बता नहीं सकती जब आप इतना अकेला महसूस करें और एक किताब आपको उस अंधेरे से बचाने का काम करें तो उस के लेखक के लिए कैसा लगता है। मेरे दिन सांई से दुआ करने में जाते..” बाबा आप मम्मी को सही कर दीजिए , उन्हें कुछ नहीं होना चाहिए। मुझे फेल होना मंजूर हैं।”ऐसा लगता था कि मुझे अपनी मम्मी के दुखों का सौदा करना होगा नहीं तो बहुत कुछ बुरा हो जाएगा जो मैं खुद सह नहीं पाऊंगी।
इस समय भी मैं बहुत कोशिश करती पर पढाई नहीं हो पाती थी।और सांई की ओर और खींची चली जाती। एक वहीं थे जिनसे कह सकती थी । सांई मुझे खुश रखते और सपने में आकर हंसते भी । और फिर वो दिन आया जिस दिन उन्होंने मुझे उनके चरणों में दिएं जलाने के लिए प्रेरित किया।
मैं इसे सांई कृपा ही कहूंगी कि जब भी मैं दुख से कोई ग़लत राह चुनने लगती , तो सांई मुझे अपनी ओर खींच लेते। बाबा की कृपा से आज मैं जीवित हूं। ऐसे दिमाग कि अवस्था में इंसान कुछ भी कर सकता है । पर सांई हमें हमेशा याद दिलाते हैं कि ये चुनौतिया हमें परखने आई हैं और ये ज़्यादा दिन नहीं ठहरेंगी।
मम्मी का गला सही होगया, कुछ महीनें बाद। कुछ साफ पता नहीं चला क्यों हुआ था ऐसा।पर मुझे आज भी सांई पर भरोसा है कि जो भी था वो सांई ने ही सही किया था। बाबा ने पिछली साल आकर मुझे सपने में कहा की उन्होंने दो कैंसर से बचाया है , मेरी मम्मी को । वो ऐसा इसलिए बता रहे थे कि मम्मी अपने शब्दों से कई बार लोगों को जख्मी कर देती हैं और वो ये समझ नहीं पाती कि ये जख्म उन तक वापस लौटते हैं। सांई चाहते हैं की जो ये समझें , ये उसकी जिम्मेदारी है कि वो बाकी सब अपनों के लिए प्रार्थना करें। सांई कभी नहीं चाहेंगे कि हम अपने अपनों कि खामियों की निंदा करें या उन्हें नजर अंदाज करें। बस प्रार्थना करते रहे की एक दिन वे जरूर सांई की रहमत से ये जान पाएंगे कि वे कब किसी को चोट पहुंचा रहे हैं।
सीख
“फकीर” में लिखा है कि कैसे बाबा या कोई भी संत /गुरू अपने भक्तों के जीवन में होने वाले कष्ट को पहले ही सपने में उन्हें महसूस कराते हैं, ताकि उनका कष्ट उन्हें सच में कम महसूस हो। ऐसा ही बाबा ने मेरे साथ किया था।वे चाहते तो मेरी नियति भी बदल देते लेकिन ऐसा करना मेरे लिए सही नहीं होता। क्यूं की कुछ सीख अनुभव से ही मिलती हैं , किताब में पढ़ने से नहीं।
बाबा की शरण में आकर बहुत कुछ समझ आया कि सांई भक्त होना सिर्फ खुद खुश रहने की बात नहीं है। कुछ जिम्मेदारियां भी आपको निभानी पड़ेंगी। कुछ ऐसे काम जो कोई आपको नहीं कहेगा करने को, पर आपको करने होंगे। मैंने देखा है लोग बहुत जल्दी किसी और के ना बदलने पर हार मान लेते है। इसे सांई कृपा ही समझूं मैं कि मेरे अंदर एक अलग विश्वास रहता है कि चाहे कोई कितना बुरा काम क्यों ना करे , चाहे कोई कितना बुरा इंसान क्यों ना हो , सांई मेरा विश्वास नहीं टूटने देते कि वो एक दिन ज़रूर बदलेगा।चाहे उसमें बदलने के लक्षण ना भी दिखे। शायद ये इसलिए कि मैने सांई को मुझे कोयले से हीरा बनाते देखा है ।अभी तो शुरुआत ही है पर मुझे नहीं लगता कि मुझसे ज्यादा बुरा कोई और होगा इस दुनिया में।
मुझे नहीं पता आज कि पोस्ट मैंने किस मकसद से लिखी क्यूं कि मेरा विचार तो कुछ और लिखने का था , पर मेरी दिशा शायद सांई ने ही मोड़ दी.. कि कहीं कोई होगा जिसे ये सुनना होगा।” कि चाहे कैसी भी परिस्थिति क्यूं ना हो , सांई से दूर.. खुद को कभी जाने मत देना। उनसे दूर जाकर सब बेकार है । सारी भक्ति , सारे अच्छे कर्म , सब बेकार हो जाएगा। बाबा कभी साथ नहीं छोड़ेंगे पर हमारी श्रद्धा हमारे ही काम आएगी।”
चाहे कोई ना दिखे आप को , सांई आप के साथ थे, हैं और रहेंगे , हमेशा। ये उनका वादा है।
बस कुछ दिन और.. यह दुख की घड़ी रहेगी।
मेरे बुरे दिन या यूं कहूं अच्छे दिन , क्यूं कि यही दिन मुझे उनके करीब लाएं थे , बेहद करीब, बीतने के बाद जो दिएं सांई ने मेरे जीवन में लगाए हैं , उनसे मेरा हर पल रोशन रहता है। सांई ने मुझे सिखाया कि उनके होते हुए मैं किसी भी परिस्थिति को संभाल सकती हूं। उन्होंने मुझे दिखाया की मुझे हमेशा परिस्थितियों या दूसरों को बदलने की दुआ नहीं करनी है , पहले खुद को मजबूत बनाने की दुआ करनी है। उन्होंने ये भी दिखाया कि लोगों पर विश्वास करना है , उनकी निंदा नहीं। मेरे घर वाले मेरी भक्ति को समझते नहीं थे , मुझे ऐसा ही लगता था , शायद कोई नहीं समझता था। पर किसी को समझाना ही क्यों जरूरी है , सांई ने यही बताया कि मुझे उनकी बातो का नहीं खुद के अविश्वास का डर लगता है। कि कहीं वो मुझ पर हावी नहीं हो जाएं ..मेरे अपनों की बातों से।
जैसे सांई ने मुझे समझाना शुरु किया, मेरे डर दूर होने लगे। और जीवन के हर दुख कि अहमियत नज़र आने लगी। मेरी दीदी अपनी देवरानी की बच्ची को इतना अपना नहीं मान पाती थी पर साईंक्या को खोने के बाद उन्हें यह समझ आया और अब वो उससे बहुत प्यार करती है। हमारे दुख हमें एक अच्छा इंसान बनाने आते हैं। और अगर आप ने उस समय भगवान का हाथ छोड़ दिया तो इसका उल्टा भी हो सकता है।
मेरी असफलता ने मुझे एक कम घमंडी और दूसरों में खोट ना निकालने वाली लड़की बनाया। मैं कुछ लोगों को देखकर सोचा करती थी , कि जब लोग कहते हैं कि उनका दिमाग काम नहीं कर रहा , उनसे पढ़ाई नहीं हो रही , तो ये सिर्फ बहानें हैं। मैं बार बार फेल होने वाले लोगों का मज़ाक भी बनाती थी। और इस सबने मुझे उनकी दशा समझाई। तो इन दुखों से इतने पाठ मिलें , मैं एक अच्छी इंसान बनी तो ये दुख बुरे कैसे हुएं भला।
उस समय सांई की एक छवि जो दिख जाती थी , सपने में, मैं कुछ पल के लिए सब परेशानी भूल जाती थी। बाबा को मेरे इतने करीब लाने वाले पल मेरे लिए बुरे हो ही नहीं सकते।
सांई हैं आप के बिल्कुल पास!
आज सांई ने सीरियल में कहा “भूल जाओगी!… एक दिन ईश्वर तुम्हारे जीवन में इतनी खुशियां भर देंगे कि ये सारे दुख भूल जाओगी।” और मुझे इन सब घटनाओं के बाद आया सांई का सपना याद आ गया जहां उन्होंने मुझसे एक वादा किया था।जैसे आग से झुलसे किसी इंसान पर बाबा ने लेप लगा दिया हो। आप के लिए भी बाबा यही कह रहे हैं.. आज।
उनका दामन कभी ना छुटने देना। वो आपके साथ नहीं चल रहे.. ऐसा लग रहा होगा आपको .. क्यों कि वो आपको अपनी गोद में उठाए चल रहे है। बाबा आपकी एक हसीं के लिए आपके सारे दुख खुद ले लेंगे, बस एक बार प्यार से आवाज़ लगाइए .. सांई… सांई…
सब इतना अच्छा होगा कि आप पीछे मुड़कर देखेंगे तो यकीन नहीं आएगा , कि बाबा ने इतना सब बेहतर कैसे कर दिया। बाबा आपको कभी टूटने नहीं देंगे। कभी नहीं। चाहे कैसी परिस्थिति क्यों ना हो , आने दो! सब देख लेंगे जब बाबा साथ है। तबतक कहते रहे .. रहम नज़र सांई।। उन्हें सुनना ही होगा। वो सुन रहे हैं। और आपका हाथ भी थामे है। ज़रा देखिए ध्यान से। आपकी आंखो के आंसू उनकी आंखो में भी है। बस कुछ दिन और…
आप हमेशा खुश रहें और सब में खुशियां बांटे .. मेरी यही दुआ है। बाबा सांई का ढेर सारा प्यार आपको हर पल महसूस हो , मेरी यही दुआ है।

आप बाकी हिंदी पोस्ट पढ़ सकते हैं। यह मुस्कान बाबा की कृपा है , इसे धुंधली मत होने देना ।
आप को विष्णु सहस्रनाम सुनना हो तो यहां जाएं 👉 विष्णु सहस्त्रनाम ।
ऊं सांई राम 😇
जय साईंनाथ
सबका मालिक एक
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